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दिन हुआ सरपट हिरन रातें नशीली हो गयीं
माँ के चहरे की लकीरें और गहरी हो गयीं
उम्र छोटी पड़ गयी और रास्ते लम्बे हुए
राह में कुछ यात्रियों की म्याद पूरी हो गयी |
गाँव का नटखट कन्हैया हो गया जल्दी बड़ा
और राधा देखकर टीवी हठीली हो गयी
हो गये दुर्बल सभी अर्जुन परीक्षा काल में
बैग ढो ढो कर सभी की पेंट ढीली हो गयी |
पद्मिनी निकलीं महल से चल पड़ी हैं रेम्प पर
और अलाउद्दीन दे रहे हैं अंक परफोर्मेंस पर
दे रहीं सवित्रियाँ अब अर्जियां डाईवोर्स की
सत्यवानो के घरों में कमी इनकम सोर्स की |
पी रहे हैं चरस गांजा गाँव के प्रहलाद अब
हिरणाकश्यप को है टेंसन पुत्र के बर्ताव पर
दे दिया वनवास सीता राम ने माँ बाप को
और श्रवण न कर सके एडजेस्ट अपने आप को
खुल गये वृद्धआश्रम हम बोझ को क्यों कर रखें
ये भी है बिजनेस, सम्हालो आप मेरे बाप को |
मार डाला पीट कर अर्जुन ने द्रोणाचार्य को
कोर्ट ने दी क्लीनचिट इस क्रूरतम संहार को
रो रहा है न्याय ओर कानून भी लाचार है
संस्कारों की दशा, दयनीय सच की हार है
हर तरफ़ रंगत अलग है, आधुनिकता छाई है
आगे बढ़ते हैं कुआ है, पीछे हटते खाई है |
है बड़ा सुंदर हमारा देश हम एडवांस हैं
या विदेशी ट्यून पर हम कर रहे बस डांस हैं |
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