Menu
blogid : 16670 postid : 647323

हम एडवांस हैं —निर्मला सिंह गौर की कविता

भोर की प्रतीक्षा में ...
भोर की प्रतीक्षा में ...
  • 54 Posts
  • 872 Comments

दिन हुआ सरपट हिरन रातें नशीली हो गयीं

माँ के चहरे की लकीरें और गहरी हो गयीं

उम्र छोटी पड़ गयी और रास्ते लम्बे हुए

राह में कुछ यात्रियों की म्याद पूरी हो गयी |

गाँव का नटखट कन्हैया हो गया जल्दी बड़ा

और राधा देखकर टीवी हठीली हो गयी

हो गये दुर्बल सभी अर्जुन परीक्षा काल में

बैग ढो ढो कर सभी की पेंट ढीली हो गयी |

पद्मिनी निकलीं महल से चल पड़ी हैं रेम्प पर

और अलाउद्दीन दे रहे हैं अंक परफोर्मेंस पर

दे रहीं सवित्रियाँ अब अर्जियां डाईवोर्स की

सत्यवानो के घरों में कमी इनकम सोर्स की |

पी रहे हैं चरस गांजा गाँव के प्रहलाद अब

हिरणाकश्यप को है टेंसन पुत्र के बर्ताव पर

दे दिया वनवास सीता राम ने माँ बाप को

और श्रवण न कर सके एडजेस्ट अपने आप को

खुल गये वृद्धआश्रम हम बोझ को क्यों कर रखें

ये भी है बिजनेस, सम्हालो आप मेरे बाप को |

मार डाला पीट कर अर्जुन ने द्रोणाचार्य को

कोर्ट ने दी क्लीनचिट इस क्रूरतम संहार को

रो रहा है न्याय ओर कानून भी लाचार है

संस्कारों की दशा, दयनीय सच की हार है

हर तरफ़ रंगत अलग है, आधुनिकता छाई है

आगे बढ़ते हैं कुआ है, पीछे हटते खाई है |

है बड़ा सुंदर हमारा देश हम एडवांस हैं

या विदेशी ट्यून पर हम कर रहे बस डांस हैं |

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh