भोर की प्रतीक्षा में ...
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तुम मुझे स्वीकार करो
मेरी जिद्दी प्रवृति के साथ
जो तुम पर पूरा
अधिकार जताती है
मेरी असुरक्षित मनोवृति के साथ
जो तुमको खोने के
विचार मात्र से डर जाती है |
.
तुम मुझे स्वीकार करो
उस पीड़ा के साथ जो
तुम्हारी संवेदना तलाशती है ,
उस ख़ुशी के साथ जो
बेकाबू होकर कुलाचें मारती है |
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तुम मुझे स्वीकार करो
उन अक्षमताओं के साथ
जो ईश्वर ने मुझे दीं हैं मगर
उनके होने का अहसास नहीं दिया|
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तुम मुझे स्वीकार करो
उन सक्षमताओं के साथ
जो ईश्वर ने मुझे नहीं दीं
मगर उनके होने का अहसास दे दिया |
……………………………………….निर्मल .
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